तू झलक रहा वतन के कणों में है तू रक्षक भारत पर पड़ती हर लाठी का। तू झलक रहा वतन के कणों में है तू रक्षक भारत पर पड़ती हर लाठी का।
अज्ञान-अँधेरा मिटाती जो, वो मशाल बनो तुम। हर भूमि में खुद को साबित करो तुम। अज्ञान-अँधेरा मिटाती जो, वो मशाल बनो तुम। हर भूमि में खुद को साबित करो ...
बसंत आया हर द्वार है स्वागतम् बसंत हर बार है। बसंत आया हर द्वार है स्वागतम् बसंत हर बार है।
माँ वसुंधरा ने सिखाया है... वसुधैव कुटुम्बकम। माँ वसुंधरा ने सिखाया है... वसुधैव कुटुम्बकम।
अतिथि की कौन कहे, तिथि पर भी, पाहुन से मिलने में घबराती है। अतिथि की कौन कहे, तिथि पर भी, पाहुन से मिलने में घबराती है।
भारत देश की मिट्टी मिट्टी के हजारो रंग देखो भारत देश की मिट्टी मिट्टी के हजारो रंग देखो